किनारे छूट जाते है


timeबूरा जब वक़्त आता है, सहारे छूट जाते हैं।
जो हमदम बनते थे हरदम, वो सारे छूट जातेहै।

बड़ा दावा करें हम तैरने का जो समंदर से,
फ़सेँ जब हम भँवर में तो, किनारे छूट जाते है।

जो चंदा को ग्रहण लग जाये, सूरज साथ छोडे तो,
वो ज़गमग आसमाँ के भी सितारे छूट जाते है।

जिन्हें पैदा किया, पाला, बडे ही चाव से हमने।
जवानी की उडानों में, दूलारे छूट जाते है।

जो दिल में दर्द हो ग़र्दीश में जीवन आ गया हो तब,
कभी लगते थे वो सुंदर, नज़ारे छूट जाते है।

जो दौलत हाथ में हो तब, पतंगा बन के वो घूमे,
चली जाये जो दौलत तो वो प्यारे छूट जाते है।

मुसीबत में ही तेरे काम कोइ आये ना ‘रज़िया”
यकीनन दिल से अपने ही हमारे छूट जाते है।


16 टिप्पणियाँ

  1. कई दिनो के बाद आए तो जी चाहा कि ब्लॉग जगत के कोने कोने तक घूमा जाए…
    छूट जाने का मतलब हम लगाते है कि दरिया का पानी आगे ही आगे बढता है…. बदलाव का मतलब गति… हरकत नही तो ज़िन्दगी नहीं… छूटना तो नियति है…. एक दिन प्राण भी छूट जाएँगे …आपका लेखन असरदार है जो कुछ कहने को उकसाता है….

  2. जिन्हें पैदा किया, पाला, बडे ही चाव से हमने।

    जवानी की उडानों में, दूलारे छूट जाते है।

    जो दौलत हाथ में हो तब, पतंगा बन के वो घूमे,

    चली जाये जो दौलत तो वो प्यारे छूट जाते है।

    bahut khoob


टिप्पणी करे