है बड़ा उसमें जो दम।
चल पडे उसके कदम।
देखो क्या करती कलम।
कभी होती है नरम।
कभी होती है गरम।
देखो क्या करती कलम।
छोड देती है शरम।
खोल देती है भरम।
देखो क्या करती कलम।
कभी देती है ज़ख़म।
कभी देती है मरहम।
देखो क्या करती कलम।
कभी लाती है वहम।
कभी लाती है रहम।
देखो क्या करती कलम।
कभी बनती है नज़म।
कभी बनती है कसम।
देखो क्या करती कलम।
लिख्नना है उसका धरम।
चलना है उसका करम।
देखो क्या करती कलम।
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बेहद पठनीय! बेहतर किया आपने यहाँ पोस्ट कर.हमज़बान की नयी पोस्ट आतंक के विरुद्ध जिहाद http://hamzabaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.htmlज़रूर पढ़ें और इस मुहीम में शामिल हों.
rziya bhn ji bhut khub kmal ka likh daala mubark ho . akhtar kkhan akela kota rajsthna mera blog akhtarkhanakela.blogspot.com he jo akhtar khan akela se khul jayega . a
bhn rziyaa ji aadab bhut khub likh rhi ho lekin hm kaafi vqt se mhrum the ab pkd liya he pdte rhenge daad dete rhenge andaaze byana achchaa hi nhin bhut bhut achchaa he mubark ho . akhtr khan akela kota rajsthan
छोड देती है शरम।
खोल देती है भरम।
बहुत सही कहा ..
रज़िया जी आपकी कलाम सत्य बोली. यह जितना चलेगी हम को कुछ ना कुछ देगी. लिखती रहें इसी तरह.
आपको मिलाद उन नबी एवं होली की शुभकामनायें !
कलम को लेकर बहुत खूबसूरत नज्म लिखी है आपने।
आपसे एक रिक्वेस्ट है कि इस ब्लॉग को भी अपडेट करती रहें।
——————
और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।
कलम का सुंदर वर्णन।
कलम का सुंदर वर्णन।बहुत सुन्दर रचना है…………
Kalam ka sateek chitran.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कलम का सुंदर वर्णन।
{ Treasurer-S, T }
छोड देती है शरम।
खोल देती है भरम।
देखो क्या करती कलम।
लिख्नना है उसका धरम।
चलना है उसका करम।
देखो क्या करती कलम।
बहुत सुन्दर रचना है.
छोड देती है शरम।
खोल देती है भरम।
देखो क्या करती कलम।
लिख्नना है उसका धरम।
चलना है उसका करम।
देखो क्या करती कलम।
बहुत सुन्दर रचना है.
महावीर
मंथन
कलम की महिमा अनंत है.
{ Treasurer-T & S }
कभी बनती है नज़म।
कभी बनती है कसम।
वाकई कलम मे बहुत ताकत है
बहुत सुन्दर रचना
Raziaji, very nice poem on pen and power.