कलम


pen

है बड़ा उसमें जो दम।

चल पडे उसके कदम।

देखो क्या करती कलम।

कभी होती है नरम।

कभी होती है गरम।

देखो क्या करती कलम।

छोड देती है शरम।

खोल देती है भरम।

देखो क्या करती कलम।

कभी देती है ज़ख़म।

कभी देती है मरहम।

देखो क्या करती कलम।

कभी लाती है वहम।

कभी लाती है रहम।

देखो क्या करती कलम।

कभी बनती है नज़म।

कभी बनती है कसम।

देखो क्या करती कलम।

लिख्नना है उसका धरम।

चलना है उसका करम।

देखो क्या करती कलम।


16 टिप्पणियाँ

  1. कलम को लेकर बहुत खूबसूरत नज्म लिखी है आपने।
    आपसे एक रिक्वेस्ट है कि इस ब्लॉग को भी अपडेट करती रहें।
    ——————
    और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
    एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।

  2. छोड देती है शरम।
    खोल देती है भरम।
    देखो क्या करती कलम।
    लिख्नना है उसका धरम।
    चलना है उसका करम।
    देखो क्या करती कलम।
    बहुत सुन्दर रचना है.
    महावीर
    मंथन


टिप्पणी करे