मौसम

                     

आया मौसम बड़ा ही सुहाना।(2)

ले के आया है कोई ख़ज़ाना।…आया मौसम…

 

आसमॉं पे है बदरी जो छाई,

जैसे काली-सी चादर बिछाई।

डूबा मस्ती में सारा ज़माना।हो…(2)

 ले के आया है कोई ख़जाना।…आया मौसम…

 

 आज बादल से बरख़ा गीरी है।

 सुख़ी धरती को ठंडक मिली है।

 कैसे निकला है धरती से दाना हो..(2)

ले के आया है कोई ख़जाना।…आया मौसम…

आज बरख़ा ने सब को भिगोया।

धूल-मिट्टी को पेड़ों से धोया।

कहे के भूलो हुवा ये पुराना हो..(2)

ले के आया है कोई ख़जाना।…आया मौसम…

सारे पंछी भी गाने लगे है।               

सारे प्राणी नहाने लगे है।

मोर-पपीहा हुवा है दीवाना हो…(2)

                 ले के आया है कोई ख़जाना।…आया मौसम…

नन्हें बच्चों ने कश्ती बनाई।

बहते पानी में उसको चलाइ।

और छेड़ा है कोई तराना हो..(2)

                 ले के आया है कोई ख़जाना।…आया मौसम…

आओ हम भी ये मस्ती में झुमे।

गिरती बारिश की बुंदों को चुमें।

‘राज़’ तुम भी करो कुछ बहाना हो..(2)

                 ले के आया है कोई ख़जाना।…आया मौसम…