आदमी है, आदमी से मिल मिलाता तू चलाजा।
गीत कोइ प्यार के बस गुनगुनाता तू चलाजा।
गर तुझे अँधियारा राहों में मिले तो याद रख़,
हर जगह दीपक उजाले के जलाता तू चलाजा।
जो तुझे चूभ जायें काँटे, राह में हो बेखबर,
अपने हाथों से हटा कर, गुल बिछाता तू चलाजा।
सामने तेरे ख़डी है जिंदगानी देख ले,
बीती यादों को सदा दिल से मिटाता तू चलाजा।
”राज़” हम आये हैं दुनिया में ही ज़ीने के लिये।
हँस के जी ले प्यार से और मुस्कुराता तू चलाजा।
WOW RAZIA JI
AMAR RAJBHAR SURHAN [ANAND NAGAR] AZAMGARH
9278447743
जो तुझे चूभ जायें काँटे, राह में हो बेखबर,
अपने हाथों से हटा कर, गुल बिछाता तू चलाजा।
bahot achha ..
kya baat hai raziya ji, bhut sundar. likhti rhe.
vha ji, kya kavita likhi hai. bhut sundar.
वाह रजिया जी आपने जो हमें संदेश दिया हे वह काबिलेतारीफ तो है ही देश के लिए प्यार मोहब्बत का पैगाम भी है। वैसे यदि इसे आपकी आवाज भी मिल जाती तो सोने पे सुहागा होता बहुत बढिया बधाई हो